JIND@GI TIMEPASS

JIND@GI TIMEPASS....

Monday, May 31, 2010

उन पलों के रोमांच को महसूस कर पाने के लिए अपनी तथाकथित मित्रता के बुनियादी खोखलेपन के होने की जानकारी को नेस्तनाबूद कर देने की एक बेदम कोशिश थी वह ...मनो मैं जानती ही नहीं थी , नहीं जानती थी की की वह सब अस्थायी है , वह टिकने वाला नहीं है ...और मैं ने एक जोर का ठहाका लगाया मनो मैं बतला देना चाहती थी की मैं थी और खुश थी...

1 comment:

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