Monday, June 7, 2010
रायगढ़ मैं बारिश बहुत सुखकर नहीं होती ..नालियां अपनी सीमायें लांघ जाती हैं..बच्चे अल-सुबह बरसाती पहने अभिभावकों के साथ स्कूल बस या रिक्शे तक चलकर जाते हुए दिख जाते हैं ...कहीं कहीं जिद्दी घांस फूस हरेपन के साथ उग आते हैं , रात की बारिश के बाद चाय की दुकानें साफ़ सुबहों मैं खुलती हुई अच्छी लगतीं हैं ..आवारगी से घूमते मवेशी रात भर के लिए किसी बंद दुकान के टिन के छज्जे के निचे आशियाना बना लेते हैं ..सुबह उनके मल-मुत्रों पर मक्खियाँ भिनभिनाती रहती हैं ....दिन भर बने उमस के बाद धुप खिलती है ...गीले कपड़े सुखाये जाते हैं ...फिर बूंदा-बंदी का आभास होते ही बेचारी औरतें छतों की ओर कपड़े समेटने भागतीं हैं
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nicely written paridhi....
ReplyDeleten the facts r vry real.